कारगिल का युध थमा नही , कारगिल अभी रुका नही !
कारगिल युध विराम हुवा नही ! भारत कभी जुकाह नही ! क्यूंकी कारगिल...अभी
वो महाभारत की एक ओर अध्याय थी !
जिसका अंतिम शालोक अभी कृशण ने कहा नही ! क्यूंकी कारगिल...अभी
आज़ाध मैदान मे जभ अमर कुंठ पर लात मारी जिहादी ने !
वो शीशा टूटा मगर , मेरा सामर्थ्य टूटा नही ! क्यूंकी कारगिल...अभी
जब मुंबई की रेल मे, धड़ शीश से अलग हुवे !
धमाकू की गूँझ से ललकार मेरी रुकी नही ! क्यूंकी कारगिल...अभी
जब जहाद की तलवार कश्मीर से केरेला तक चीरती रही !
लहू गंगा मे तो बह गया , मगर अभी धरती सींची नही ! क्यूंकी कारगिल...अभी
जब ओवसी , गीलानी और बॅट्कल चिलाते है पाकिस्तान पाकिस्तान !
मेरे अंतकरण मुझ से कहते है , तुम अभी रुकना नही ! क्यूंकी कारगिल...अभी
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