मेरी मात्र भूमि, वीर ज्ननी किश्तवार !
तुझ पर होते रहे कितने अन्गिनत वार !
किशत ऋषि ने यहाँ बरी धरम की हुंकार !
योदा मेहता ने यही किया मुघलू का संहार !
तेरी पावन भूमि केसर का आदार !
तेरे भूगर्भ मे नीलम का भण्डार !
जिप्सम बरकर बारंबार है गाव त्रिघाम!
तू चंद्राभागा सभ्यता का खिला विस्तार !
ब्रॅम शिखर के पथ पर , छाया देते देवदार !
दच्चन की घाटी मे ब्रह्मा का अवतार !
तुम राज मेहता और कालास की हिंदवी संतान !
गर्व तुम पर करता समस्त भारती परिवार!
आज फिर विपदा आईः सामने शत्रु ललकार !
समय है सपूतो आज, चुनोती करो स्वीकार !
रणभूमि मे कोषल से रक्षा करना और फिर शत्रु पर प्रहार !
भारत का है शत शत नमन तूमे , ओ देवगिरी किश्तवार!
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तुझ पर होते रहे कितने अन्गिनत वार !
किशत ऋषि ने यहाँ बरी धरम की हुंकार !
योदा मेहता ने यही किया मुघलू का संहार !
तेरी पावन भूमि केसर का आदार !
तेरे भूगर्भ मे नीलम का भण्डार !
जिप्सम बरकर बारंबार है गाव त्रिघाम!
तू चंद्राभागा सभ्यता का खिला विस्तार !
ब्रॅम शिखर के पथ पर , छाया देते देवदार !
दच्चन की घाटी मे ब्रह्मा का अवतार !
तुम राज मेहता और कालास की हिंदवी संतान !
गर्व तुम पर करता समस्त भारती परिवार!
आज फिर विपदा आईः सामने शत्रु ललकार !
समय है सपूतो आज, चुनोती करो स्वीकार !
रणभूमि मे कोषल से रक्षा करना और फिर शत्रु पर प्रहार !
भारत का है शत शत नमन तूमे , ओ देवगिरी किश्तवार!
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