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Monday, 26 December 2011

22 वर्ष से भूखा होगाह मेरा यक्ष !

26 वर्ष से भूखा होगा मेरा यक्ष !

26 वर्ष से भूखा होगा मेरा यक्ष !
हर पॉश अमावस पर क्या निराश होता है मेरा यक्ष ?

मेरे पितृ का ऋण में ना चुका पाया !
इसका दोष मुझे क्या देता होगा मेरा यक्ष ?

मेरे विस्तापन और पलायन की पीड़ाः,
क्या जानता होगा मेरा ग्रहदेव और मेरा यक्ष ?

सदीयूं खड़े मक़ानू को जलता देखके
क्या मेरे बाद वहाँ कभी आया होगा मेरा यक्ष ?

कही कभी बरफ से निकल , खिचड़ी की तलाश मे
मेरे बरामदेह पर रोया होगाह मेरा यक्ष ?

पहाड़ू से उतर , वादी मे घूम कर !
मुझे ला पत्ता देख , क्या मुझे डूंदताः होगाह मेरा यक्ष ?

आज खिचड़ी का रंग फीका है इधर !
क्या भूखा इस वर्ष भी निकलह होगाह मेरा यक्ष ?

वो यक्ष की टोपी की गाथा, अभ बच्चे नही सुन्ते !
मेरी पीड़ाः अमावस की रात नही देखतेः !

मेरा यक्ष मेरा मित्र था ,
मेरा यक्ष मेरा देवताः था !
मेरा यक्ष मेरा सेवक था ,
मेरा यक्ष मेरा प्रतिभींभ था !
यक्ष बिना अभ मे क्या हू ,
बस एक भूली बिसरी गाथा हू !

हर साल की आखरी अमावस मुझे यह एहसाद देती है !
की मे इस कड़ी की आखरी गाथा हूँ...
में इस कड़ी की आखरी गाथा हूँ ....!

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